रेत का घरौंदा
समंदर किनारे रेत पर
चलते चलते यूं ही
अचानक मन किया
चलो बनाए
सपनों का सुंदर एक घरौंदा
वहीं रेत पर बैठ
समेट कर कुछ रेत
कोमल अहसास के साथ
बनते बिगड़ते राज के साथ
बनाया था प्यारा सा
सुंदर
एक घरौंदा................
वही समीप बैठ कर
बुने हजारों सपनो के
ताने बाने जो
उसी रेत की मानिंद
भुरभुरे से ,
हवा के झोंके से उड़ने को
बेताब
प्यारा घरौंदा
..............
अचानक उठी लहर
बहा ले गई वो
प्यारा सुंदर घरौंदा
जिसको सींचा था
सहलाया था ,
प्यार से
दुलराया था
बिखरे पड़े उन अवशेषों को
समेट फिर चल दी
उन्हे दुबारा सवारने की
खातिर
प्यारा सा सपनों का
घरौंदा..................
जो शायद सपने ही है
जो कभी सच होते है
कभी नहीं भी
मन की संकरी गलियों मे
यूं ही घुमड़ते हुए बादल से
सपने .............
रेत के घरौंदे ही तो है ......................
।
अन्नपूर्णा बाजपेई
आप की ये सुंदर रचना आने वाले सौमवार यानी 25/11/2013 को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित है...
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ।
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार को (24-11-2013) बुझ ना जाए आशाओं की डिभरी ........चर्चामंच के 1440 अंक में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका आभार आ0 शास्त्री जी ।
हटाएंह्रदयस्पर्शी कविता...आभार।
जवाब देंहटाएंसमय हो तो कभी यहाँ भी पधारेँ, मुझे खुशी होगी वंदे मातरम्: एहसास
आपका आभार अभिषेक जी ।
हटाएंह्रदयस्पर्शी कविता...आभार।
जवाब देंहटाएंसमय हो तो कभी यहाँ भी पधारेँ, मुझे खुशी होगी वंदे मातरम्: एहसास
अत्यंत भावना प्रधान अभिव्यक्ति ,सुंदर कविता .
जवाब देंहटाएंबधाई
आपका आभार ।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-11-2013) को "उपेक्षा का दंश" (चर्चा मंचःअंक-1441) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका आभार आ0 शास्त्री जी ।
हटाएंजीवन में कई सपने समय के लहरों के साथ मिट जाते है ! सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट तुम
आपका हार्दिक आभार आ0 काली पद जी ।
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