लाल रसीले होंठों से, आकर फरमान सुनाये फिर ।
नैन नशीले नीले ने, नाहक नुकसान कराये फिर ।
चोट लगाये सीने पे, फट गया कलेजा चूर हुआ-
हाथ हठीले धागा ले, सीने की खातिर आये फिर ॥
दिल की बात , गज़ल संग्रह का आत्मकथ्य – काव्य या साहित्य किसी विशेष , काल...
बहुत सुंदर रविकर जी ,,
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !
RECENT POST : समझ में आया बापू .
क्या बात है ..हाथ हठीले ....सुन्दर ..
जवाब देंहटाएं