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शनिवार, 14 सितंबर 2013



हिंदी पर तीन मुक्तक 

मातृभाषा पर जिसे,अपनी न स्वाभिमान है |
राष्ट्रभाषा के प्रति, रखता नहीं अधिमान  है |
पूर्ण पशुवत है जिसे,ना शीर्ष पर हो राष्ट्रहित ,
सम्पदामय हो भले, निकृष्ट का प्रतिमान है |
        --
करेगी  देश  को  जगमग ,  मुझे  विश्वास  हिन्दी  का |
है उत्सव के लिये निश्चित सितम्बर मास हिन्दी का |
हर एक चौद्ह सितम्बर को,मनाते हैं हम    'हिन्दी डे'-
इसी दिन कर दिया करते हैं,   तर्पण खास हिन्दी  का |
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उन्नत ललाट पर चमक रही,भारत माता की बिन्दी है |
है ब्रह्मपुत्र सम हिमनद यह,सतलुज,सरयू,कालिन्दी है |         
जो आकर मिला पवित्र हुआ,है पतित-पावनी मां जैसी,
वर्तनी सरलभाषा  सीधी, निर्मल गंगा सम हिन्दी है |
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