काम तो हमारे हैं, नाम बस तुम्हारा है पाँव तो हमारे हैं, रास्ता तुम्हारा है लिख रहे हैं प्यार की इबारत को बोल तो हमारे हैं, कण्ठ बस तुम्हारा है नदिया में लहरों से जूझ रहे हैं दूर ही किनारा है, आपका सहारा है अपने दिल में झाँककर देखिए जरा आइना तुम्हारा है, अक्स बस हमारा है दिख रहे हैं दोबदन एक सुमन के प्राण तो तुम्हारा है, "रूप" बस हमारा है |
यह ब्लॉग खोजें
शनिवार, 21 दिसंबर 2013
"ग़ज़ल-नाम तुम्हारा, काम हमारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
मेरी नवीन प्रकाशित पुस्तक---दिल की बात, गज़ल संग्रह ....डॉ. श्याम गुप्त
दिल की बात , गज़ल संग्रह का आत्मकथ्य – काव्य या साहित्य किसी विशेष , काल...
-
निमंत्रण पत्र ...लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश' -----डा श्याम गुप्त लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ ...
-
हार में है छिपा जीत का आचरण। सीखिए गीत से , गीत का व्याकरण।। बात कहने से पहले विचारो जरा मैल दर्पण का अपने उतारो जरा तन...
-
मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा-- ============ मेरे गीत-संकलन गीत बन कर ढल रहा हूं की डा श्याम बाबू गुप्त जी लखनऊ द्वारा समीक्षा आज उ...
सुंदर !
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएं~सादर
वाह... उम्दा... बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
उम्दा ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएं