मेरे शीघ्र प्रकाश्य ब्रजभाषा काव्य संग्रह ..." ब्रज बांसुरी " ...की
ब्रजभाषा में रचनाएँ गीत, ग़ज़ल, पद, दोहे, घनाक्षरी, सवैया, श्याम -सवैया,
पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नव गीत आदि मेरे अन्य ब्लॉग .." हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान " ( http://hindihindoohindustaan.blogspot.com ) पर क्रमिक रूप में प्रकाशित की जायंगी ... ....
कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्य-विधाओं की रचनाओं का संग्रह )
रचयिता --- डा श्याम गुप्त
--- श्रीमती सुषमा गुप्ता
------प्रस्तुत है भाव अरपन छः ...अतुकांत रचनायें ...सुमन-१.. तस्वीर के दो रूप ...
तस्वीर -२
चमकत भये आधे सच ,
विकास के ढोल में ,
पतन की सही बात कहत भये ,
सांचे दस्तावेज,
खोय गए हैं , और-
हम चमक-धमक देखि कें
मोदु मनाय रहे हैं |
मित्तल नै आर्सेलर खरीद लयी ,
टाटा नै कोरस,
सुनीता नै जीतौ आसमान ,
और अम्बानी नै ,
जग भरि के सबते धनी कौ खिताब |
पर हम का ये बता पावैंगे,
देश कौं समुझाय पावैंगे, कै-
वे करोड़न भारतीय लोग ,
जो आजहू गरीबी रेखा के नीचैं हैं -
कब ऊपर आवैंगे ?
का.. कारनि के ढेर ,
फ्लाई-ओवरनि की भरमार ,
आर्सेलर या कोरस ,
या चढ़तु भयौ शेयर बज़ार,
उनकौं, दो जून की रोटी ,
दै पावैंगे ||
कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्य-विधाओं की रचनाओं का संग्रह )
रचयिता --- डा श्याम गुप्त
--- श्रीमती सुषमा गुप्ता
------प्रस्तुत है भाव अरपन छः ...अतुकांत रचनायें ...सुमन-१.. तस्वीर के दो रूप ...
तस्वीर -१...
भारत उभरि रहौ है
जग भरि में सुपर पावर बनिकें;
खड़ो है रहौ है ,
बड़े बड़ेन के सामुनै, तनिकैं|
भारतवासी विदेशन में हू
सत्ता सासन के सीस पै हैं ;
का भयौ जो वे-
वहीं के नागरिक है गए हैं ?
हम अपुनी परम्परा औ-
सांस्कृतिक निधि कौं,
करोड़नि डालर में निर्यात करि रहे हैं |
भारत के कलाकार -
विदेशन में जमि कें आइटम दै रहे हैं |
हाँ फिल्मन की शूटिंग ,
अधिकतर विदेशन में होवै है , और-
भारतीय संस्कृति -
विदेशी संस्कारनि में घुलिकें ,
विलीन होवै है |
तौ का भयौ --
एन जी ओ और आतम विश्वास ते भरी भई,
हमारी युवा पीढी के कारन-
हमारौ विदेशी मुद्रा भंडार तौ,
अरबन में बढ़तु है |
कछू पावे के हितू-
कछू खौनौ तो पडतु है ||
तस्वीर -२
विकास के ढोल में ,
पतन की सही बात कहत भये ,
सांचे दस्तावेज,
खोय गए हैं , और-
हम चमक-धमक देखि कें
मोदु मनाय रहे हैं |
मित्तल नै आर्सेलर खरीद लयी ,
टाटा नै कोरस,
सुनीता नै जीतौ आसमान ,
और अम्बानी नै ,
जग भरि के सबते धनी कौ खिताब |
पर हम का ये बता पावैंगे,
देश कौं समुझाय पावैंगे, कै-
वे करोड़न भारतीय लोग ,
जो आजहू गरीबी रेखा के नीचैं हैं -
कब ऊपर आवैंगे ?
का.. कारनि के ढेर ,
फ्लाई-ओवरनि की भरमार ,
आर्सेलर या कोरस ,
या चढ़तु भयौ शेयर बज़ार,
उनकौं, दो जून की रोटी ,
दै पावैंगे ||
हार्दिक शुभकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19-12-2013 को चर्चा मंच पर टेस्ट - दिल्ली और जोहांसबर्ग का ( चर्चा - 1466 ) में दिया गया है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
आभार
शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अमृता जी,शास्त्रीजी एवं कालीपद जी.....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दिलबाग विर्क जी आभार.....
जवाब देंहटाएं