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शनिवार, 21 दिसंबर 2013

मेरे सपनों का रामराज्य (भाग २ )

मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग १ ) से आगे

     
शाष्टांग प्रणाम किया मैं 
जगस्रष्टा ,जग नियंता को 
'वर' पाकर धन्य हो गया मैं 
सोचा -पहले सुधारूँगा भारत को|

पहुँच कर मैं भारत भूमिपर 
पहली इच्छा प्रगट किया
"सौ लोग आ जाये मेरे पास"
वरदान का मैं परीक्षण किया |

देखते ही देखते इकठ्ठा हो गए 
आज्ञाकारी लोगों का एक दल 
नत मस्तक अभिवादन किया मुझे 
बढ़ा मेरा  विश्वास और आत्म बल |

सुनो भाइयों सौ प्यारे मेरे 
करना है हमें एक नेक काम 
निर्मूल करना भ्रष्टाचार को 
दुष्टों से मुक्त करना भारत धाम |

सभी चैनेलों में ,सभी पत्रिकाओं में 
करो यह शुभ समाचार प्रसार 
भ्रष्टाचार मिटाने ,सुशासन करने 
कलि-दुत का हो गया अवतार |

वही होगा प्रधान मंत्री तुम्हारा
उनको दो तुम अपना व्होट 
उनका है 'सुशासन "पार्टी 
"सुशासन " को मिले हरेक व्होट |

व्होटिंग हुआ नारे लगे अनेक 
पर सब चारो खाने हो गए  चित
सबके  सब का जमानत जब्त 
हम जीते, सुशासन की विशाल जीत |

हो गया कमाल ,जीत गए इलेक्सन 
बन गया मैं भारत का प्रधानमंत्री 
हकाल कर बाहर किया भ्रष्टाचारियों ,
बाहुबलियों को जो बन बैठे  थे मंत्री |

बहुमत हमारी थी ,जनता  भी हमारी
करना था गिन गिनकर सारे नेक काम
जन लोक पाल बिल को पास किया
देने भ्रष्टाचारियों को उचित इनाम |

चाहा मैंने -वे नेता ,अधिकारी सब 
हो जाये हाज़िर मेरे आम दरवार में 
जिसने भी लुटा सरकारी खज़ाना 
सरकारी ठेका या और कोई बहाने में |

देखा सभी दल के बड़े नेता ,उसके बाप को 
बाप के बाप और उसके  परदादा को
कुछ तो आये थे पेरोल पर स्वर्ग-नरक से
मेरे ऐतिहासिक फैसला सुनने को |

सबने लुटा भारत  के खजाने को
किया भारत देश को कमजोर 
मेरी चाहत के आगे अब नहीं चलेगा 
किसी भ्रष्टाचारी ,बाहुबलियों का जोर |

किया एलान ," पूर्व मंत्री,मंत्री ,सब अधिकारी 
यदि बचना चाहते हो ,तो इस पर ध्यान  दो
साठ साल में जो भी लुटा खजाने से तुमने 
इमानदारी से खजाने में उसे लौटा दो |

कर देगी जनता माफ़ तुम्हे 
बच जाओगे कैद के बंधन से 
अन्यथा नहीं बच पाओगे
साठ साल के कारवास से 

हमारी इच्छा  ईश्वर इच्छा जानो 
इमानदारी से करो इसका सम्मान 
मुक्ति पाओगे हर कष्ट से इस जग में 
बचा रहेगा तुम्हारा और परिवार का मान |

...............क्रमशः भाग ३ ..


कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (22-12-13) को वो तुम ही थे....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1469 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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