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मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा--डॉ.श्याम गुप्त
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भारत में वर्ण व्यवस्था व जाति प्रथा की कट्टरता -एक ऐतिहासिक आईना ==============...
बहुत खूब,सुंदर गजल ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - फागुन की शाम.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार गुरुदेव-
vaah vaah...
जवाब देंहटाएं---सुन्दर व भावपूर्ण शानदार ग़ज़ल .....
जवाब देंहटाएं--- यद्यपि ..तीन शेरों में काफिया भिन्नता है ..जिसे सही किया जा सकता है ...निम्नानुसार ...(परन्तु वस्तुत: तो इस काफिया भिन्नता से भी यहाँ इस ग़ज़ल के भाव, लय, गति, सुर व प्रवाह, भाव-सम्प्रेषण एवं श्रेष्ठता, सौन्दर्य पर कोइ अंतर नहीं पड रहा ...इसीलिये तकनीक को मैं सिर्फ २५% ही नंबर देता हूँ शेष को ७५%)...देखें...
पिरोना एकता के सूत्र में, = एक्य में पिरोया जाना
दमकता सा खरा कुन्दन, = खरा कुंदन सा होजाना
हमारा गुनगुनाना भी = हमारा गीत भी गाना ..
वाह बहुत सुदंर
जवाब देंहटाएंगजल लिखी आपने