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शनिवार, 11 जनवरी 2014

“कोपलों में अब अदाएँ आने वाली हैं” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


सुलगते प्यार मेंमहकी हवाएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार कोदेने दवाएँ आने वाली हैं।।

चटककर खिल गईं कलियाँ,
महक से भर गईं गलियाँ,
सुमन की सूनी घाटी मेंसदाएँ आने वाली है।
दिल-ए-बीमार कोदेने दवाएँ आने वाली हैं।।

चहकने लग गई कोयल,
सुहाने हो गये हैं पल,
नवेली कोपलों मेंअब अदाएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार कोदेने दवाएँ आने वाली हैं।।

जवानी गीत है अनुपम,
भरे इसमें हजारों खम,
सुधा रसधार बरसानेघटाएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार कोदेने दवाएँ आने वाली हैं।।

दिवस है प्यार करने का,
नही इज़हार करने का,
करोगे इश्क सच्चा तोदुआएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार कोदेने दवाएँ आने वाली हैं।।

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