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शनिवार, 3 अगस्त 2013

माँ शारदे वन्दना ......हरिगीतिका छंद ......






 माँ शारदे आराधना ही, ज्ञान का आधार है,
माँ वाग्देवी, वीणा वादिनि ज्ञान का भण्डार है |
माता सरस्वति, मातु वाणी ज्ञान का आगार है,
वागीश्वरी माँ साधना ही काव्य का संसार है||

हम हैं शरण में आपकी माँ ज्ञान के स्वर दीजिये ,
वातावरण सुख-शान्ति का हो जगत में वर दीजिये |
कवि हो सुहृद ,समर्थ ,सात्विक सौख्य स्वर परिपूर्ण हो,
साहित्य हो सुन्दर शिवम् सत,तथ्य शुचि सम्पूर्ण हो ||

                                          ----चित्र गूगल साभार....

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (04-08-2013) के दादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ : चर्चा मंच 1327
    में मयंक का कोना
    पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद शास्त्रीजी......

      एक शब्द भी ज्ञान का, दे जो हमें बताय ,
      श्याम' उसे गुरु मान कर, वंदन शीश नवाय |

      हटाएं

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