माँ शारदे आराधना ही, ज्ञान का आधार है,
माँ वाग्देवी, वीणा वादिनि ज्ञान का भण्डार है |
माता सरस्वति, मातु वाणी ज्ञान का आगार है,
वागीश्वरी माँ साधना ही काव्य का संसार है||
हम हैं शरण में आपकी माँ ज्ञान के स्वर दीजिये ,
वातावरण सुख-शान्ति का हो जगत में वर दीजिये |
कवि हो सुहृद ,समर्थ ,सात्विक सौख्य स्वर परिपूर्ण हो,
साहित्य हो सुन्दर शिवम् सत,तथ्य शुचि सम्पूर्ण हो ||
----चित्र गूगल साभार....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (04-08-2013) के दादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ : चर्चा मंच 1327
में मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्रीजी......
हटाएंएक शब्द भी ज्ञान का, दे जो हमें बताय ,
श्याम' उसे गुरु मान कर, वंदन शीश नवाय |
बढिया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अरुणिमा जी......
हटाएंबहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मीनाक्षी जी ....
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