श्याम स्मृति .......यह भारत देश है मेरा .......
यह
भारतीय
धरती
व
वातावरण
का
ही
प्रभाव
है
कि
मुग़ल
जो एक
अनगढ़, अर्ध-सभ्य,
बर्बर घुडसवार
आक्रमणकारियों की
भांति यहाँ
आये थे
वे सभ्य,
शालीन, विलासप्रिय, खिलंदड़े,
सुसंस्कृत लखनवी -नजाकत वाले लखनऊआ नवाब बन गए
| अक्खड-असभ्य जहाजी
,सदा खड़े
-खड़े , भागने को
तैयार, तम्बुओं में
खाने -रहने वाले
अँगरेज़ ...महलों, सोफों, कुर्सियों
को
पहचानने
लगे |
यह वह
देश है
जहां प्रेम, सौंदर्य, नजाकत, शालीनता... इसकी संस्कृति, में रचा-बसा
है, इसके जल
में घुला
है, वायु में
मिला है
और खेतों
में दानों
के साथ
बोया हुआ
रहता है
| प्रेम-प्रीति यहाँ
की श्वांस
है और
यहाँ के
हर श्वांस
प्रेम है
|
यह पुरुरवा का, कृष्ण का, रांझे का, शाहजहां का और
ताजमहल का
देश है.....|
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज रविवार (25-08-2013) को पतंग और डोर : चर्चा मंच 1348
में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्रे जी एवं ललित जी.....आभार....
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