गीतिका व हरिगीतिका छंद
( ---- चार दिन से किसी ने हरिगीतिका छंद की कोइ पोस्ट नहीं डाली....तो मैंने सोचा मैं ही पोस्ट कर देता हूँ |)
गीतिका छंद --- भी हरिगीतिका की ही भांति चार पदों वाला सममात्रिक व चारों पद सम् तुकांत या दो दो पद सम तुकांत वाला छंद होता है इसमें प्रत्येक पद में २६ मात्राएँएवं अंत में लघु -गुरु या लघु-लघु होता है |
उदाहरण----- प्रसिद्द प्रार्थना है -- जो सभी ने स्कूल में गायी होगी .......
हे प्रभो आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये |
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये |
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें |
ब्रह्मचारी धर्म रक्षक वीर व्रत धारी बनें |
मेरे गीतिका व हरिगीतिका छंद -------
हे प्रभु !
---हरिगीतिका ...में ...
हे प्रभु! हमारे जन्मदाता प्राणत्राता आप हो | = २८ मात्रा ...I S
हैं अल्पज्ञानी हम मनुज सब ज्ञान दाता आप हो |
भूलें विषयरत आपको हम आप मत बिसराइये|
हो कृपा सागर यदि प्रभो तो कृपा ही बरसाइये ||
हे नाथ ! इस संसार के हो आपही कारन करन | = २८ मात्रा...III
सब जग कृपा से आपकी ही, आपही तारन तरन |
यह जगत माया आपकी ही आप नित धारन धरन|
कट जायं भवदुख नित करे यदि आपका मानव मनन ||
-------- इसे गीतिका में भी लिखा जा सकता है....
प्रभु हमारे जन्मदाता प्राणत्राता आप हो | = २६ मात्रा , I S
अल्पज्ञानी हम मनुज सब ज्ञान दाता आप हो
भूलें विषयरत हम प्रभो!, आप मत बिसराइये|
कृपा सागर प्रभो ! हम पर कृपा ही बरसाइये ||
नाथ ! इस संसार के हो आपही कारन करन | = २६ मात्रा ...I I
जग कृपा है आपकी ही, आप ही तारन तरन |
जगत माया आपकी है आप नित धारन धरन|
कट जायं भवदुख यदि करे आपका मानव मनन ||
( ---- चार दिन से किसी ने हरिगीतिका छंद की कोइ पोस्ट नहीं डाली....तो मैंने सोचा मैं ही पोस्ट कर देता हूँ |)
गीतिका छंद --- भी हरिगीतिका की ही भांति चार पदों वाला सममात्रिक व चारों पद सम् तुकांत या दो दो पद सम तुकांत वाला छंद होता है इसमें प्रत्येक पद में २६ मात्राएँएवं अंत में लघु -गुरु या लघु-लघु होता है |
उदाहरण----- प्रसिद्द प्रार्थना है -- जो सभी ने स्कूल में गायी होगी .......
हे प्रभो आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये |
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये |
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें |
ब्रह्मचारी धर्म रक्षक वीर व्रत धारी बनें |
मेरे गीतिका व हरिगीतिका छंद -------
हे प्रभु !
---हरिगीतिका ...में ...
हे प्रभु! हमारे जन्मदाता प्राणत्राता आप हो | = २८ मात्रा ...I S
हैं अल्पज्ञानी हम मनुज सब ज्ञान दाता आप हो |
भूलें विषयरत आपको हम आप मत बिसराइये|
हो कृपा सागर यदि प्रभो तो कृपा ही बरसाइये ||
हे नाथ ! इस संसार के हो आपही कारन करन | = २८ मात्रा...III
सब जग कृपा से आपकी ही, आपही तारन तरन |
यह जगत माया आपकी ही आप नित धारन धरन|
कट जायं भवदुख नित करे यदि आपका मानव मनन ||
-------- इसे गीतिका में भी लिखा जा सकता है....
प्रभु हमारे जन्मदाता प्राणत्राता आप हो | = २६ मात्रा , I S
अल्पज्ञानी हम मनुज सब ज्ञान दाता आप हो
भूलें विषयरत हम प्रभो!, आप मत बिसराइये|
कृपा सागर प्रभो ! हम पर कृपा ही बरसाइये ||
नाथ ! इस संसार के हो आपही कारन करन | = २६ मात्रा ...I I
जग कृपा है आपकी ही, आप ही तारन तरन |
जगत माया आपकी है आप नित धारन धरन|
कट जायं भवदुख यदि करे आपका मानव मनन ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (07-08-2013) के रीयल्टी शो पाक का, आतंकी भी फेल :चर्चा मंच 1330 में मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्रीजी ...
हटाएंब्रह्मचारी धर्म रक्षक वीर व्रज धारी बनें.....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नीतू जी....
हटाएंयह ब्रज धारी नहीं व्रतधारी है...