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बुधवार, 7 अगस्त 2013

पूजनीय प्रभु :गीतिका छंद

आदरणीय गुरुजनों मैंने पोस्ट तो तैयार कर रखी थी एक तो डालने का समय नहीं मिला दूसरा थोड़ा हिचकचा रही थी कि पता नहीं कहीं जल्दी में सब गलत ही ना हो प्रथम प्रयास है गलतियाँ इंगित कीजिए |

पूजनीय प्रभु हमारे भाव उज्जवल कीजिए| 
छोड़ देवें हर बुराई शक्ति हमको दीजिए| 
बुद्धि निर्मल कर हमारी शरण अपनी लीजिए| 
श्रद्धा से सर झुकाएं भक्ति का दान दीजिए ||

ईश्वर निराकार है  महीमा अपरमपार है |
शरण में जो आते हैं उनका बेड़ा पार है |
तेरी दिव्य शक्तिओं का भरा हुआ भँडार है| 
सूर्य चाँद और तारों का तेज बरक़रार है || 
.......................

3 टिप्‍पणियां:

  1. पहले छंद में ...मात्राएँ--- २५, २६, २७, २७ हैं...दूसरे छंद में --२५, २६, २७, २७ हैं....
    --- अंत लघु-गुरु है ..वास्तव में यह २६ मात्राओं वाला गीतिका छंद है ,,,हरिगीतिका में २८ मात्राएँ होनी चाहिए....|

    ----बधाई है---अच्छा प्रयास है ..छंद भी सुन्दर ही है ...कुछ और सुधार करें कठिन कुछ नहीं होता,,,

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  2. आदरणीय श्याम जी नमस्कार
    शुक्रिया आपके उत्साहवर्धन के लिए वो गलती से हरिगीतिका लिख गई ठीक कर देती हूँ
    इसकी मात्रा गणना शायद कुछ अलग है
    आप कैसे गिन रहे हैं कृपया विस्तार से बता दें
    जैसे कुछ शब्द हैं
    प्रभो
    बुद्धि
    निर्मल
    सूर्य
    बाकि संशोधन मैं कर देती हूँ

    जवाब देंहटाएं
  3. ---धन्यवाद सरिता जी....
    गीतिका या हरिगीतिका ---दोनों ही बनाए जा सकते हैं सुधार कर ---

    प्रभो =१+२=३..बुद्धि= २+१=३...निर्मल =२+१+१ ...सूर्य=२+१=३....

    संक्षिप्त सामान्य नियम है --- लघु की १ मात्रा....गुरु की दो .....संयुक्त अक्षर से पहले आने वाले लघु की २ मात्राएँ ...संयुक्त अक्षर की स्वयं की मात्रानुसार जैसे .. तथ्य = २+१ ..तथ्यों = २+२ .....क्ष ,त्र ,ज्ञ संयुक्ताक्षर हैं...

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