यह ब्लॉग खोजें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा--डॉ.श्याम गुप्त
मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा-- ============ मेरे गीत-संकलन गीत बन कर ढल रहा हूं की डा श्याम बाबू गुप्त जी लखनऊ द्वारा समीक्षा आज उ...
-
निमंत्रण पत्र ...लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश' -----डा श्याम गुप्त लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ ...
-
ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ...भाव अरपन -सोरह --सवैया छंद --सुमन -२...पंचक श्याम सवैया . ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ..........
-
भारत में वर्ण व्यवस्था व जाति प्रथा की कट्टरता -एक ऐतिहासिक आईना ==============...
बहुत खूबसूरत गीत
जवाब देंहटाएंपानी बिकने लगा अब दूध के भाव पर
कौन मरहम लगाये अब घाव पर
बहुत खूब.
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
सच ..दुनियादारी में अब तो दमन ही रहा....
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी सच को शब्दों में सुन्दरता से पिरोये हैं ...सादर !
अतिसुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-बहुत खूबसूरत गीत
जवाब देंहटाएंलाजवाब गीत है ... क्या कहने सर ...
जवाब देंहटाएंसच्ची ....
जवाब देंहटाएं