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गुरुवार, 29 मार्च 2018

डा श्याम गुप्त की सद्य प्रकाशित, ई बुक ,,,काव्य-काँकरियाँ ...(.गीति व अगीत....तुकांत व अतुकांत लघुकाओं का संग्रह )


                     

 डा श्याम गुप्त की सद्य प्रकाशित,  ई बुक ,,,काव्य-काँकरियाँ ...(.गीति व अगीत....तुकांत व अतुकांत लघुकाओं का संग्रह ) 
----- वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा प्रकाशित ------



       काव्य-काँकरियाँ: काव्य संग्रह
डॉ श्यामगुप्त  26 मार्च 2018
वर्जिन साहित्यपीठ
  कंकड़ फैंकना एक सहज मानवी प्रवृत्ति है। कभी यूंही खेल खेल में अपनों पर या दूसरों पर। बचपन में पोखर-तालावों में, मेंढ़कों, पक्षियों, कुत्ते-बिल्लियों पर, पेड़ों पर फलों को तोड़ने हेतु ढेले फैंकना किसे नहीं सुहाया। बालिकाओं के आदि-खेल कंकड़गुटके और बालकों के रंग-बिरंगे कंचों का खेल कौन नहीं जानता।


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1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-03-2017) को "दर्पण में तसबीर" (चर्चा अंक-2926) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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