डा श्याम गुप्त की सद्य प्रकाशित, ई बुक ,,,काव्य-काँकरियाँ ...(.गीति व अगीत....तुकांत व अतुकांत लघुकाओं का संग्रह )
----- वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा प्रकाशित ------
काव्य-काँकरियाँ: काव्य संग्रह
वर्जिन साहित्यपीठ
कंकड़ फैंकना एक सहज मानवी प्रवृत्ति है। कभी यूंही खेल खेल में
अपनों पर या दूसरों पर। बचपन में पोखर-तालावों में, मेंढ़कों, पक्षियों, कुत्ते-बिल्लियों पर, पेड़ों पर फलों को
तोड़ने हेतु ढेले फैंकना किसे नहीं
सुहाया। बालिकाओं के आदि-खेल ‘कंकड़’ गुटके और बालकों के रंग-बिरंगे
कंचों का खेल कौन नहीं जानता।
Literature & Fiction
·
25 March
2018---by Dr Shyam Gupt
2008
by
Harivanshrai Bachchan
15 March
2018---by सिल्वा बैरोस, विलियम
Subscribers
read for free.Learn more.
27
February 2018----by सिंह, जगमोहन
14 March
2018
by सिल्वा बैरोस, विलियम
=======================================================
--------गूगल बुक्स स्टोर पर उपलब्ध -----
https://play.google.com/store/books/details?id=5BNTDwAAQBAJ------google
books
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-03-2017) को "दर्पण में तसबीर" (चर्चा अंक-2926) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'