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बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

संकल्प



दुर्मिल सवैया ( 8 सगण l l S)

अधिकार मिले अति भाग खिले, नहिं दम्भ दिखे प्रण आज करो
करना  नहिं  शासन  ताकत से , दिल पे  दिल से बस राज करो
कब  कौन  कहाँ  बिछड़े बिसरे , लघु कौन यहाँ ,गुरु कौन यहाँ
उसकी  फुँकनी  सुर  साज  रही , वरना  हर साज त मौन यहाँ ||

प्रण  आज  करो  सब  एक  रहें , नहिं  भेद  रहे  तुझमें  मुझमें
उसके  शुभ  अंश  बँटे  सब में  ,  जल में  थल में  इसमें  उसमें
दिन  चार  मिले  कट तीन गये , बस  एक बचा बरबाद न हो
किस काम क जीवन हाय सखे, यदि जीवन में मधु स्वाद न हो ||

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर ( मध्य प्रदेश)

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति-
    शुभकामनायें भाई जी-

    जवाब देंहटाएं
  2. ---सुन्दर ..अति सुन्दर .....सवैया ....
    ---बस अति- नियम का यही तो दोष है कि ..... त ( तो ) ... एवं क.( का ).. लिखना पड़ता है ........सायास अपभाषा....

    वरना हर साज त मौन यहाँ

    किस काम क जीवन हाय सखे

    जवाब देंहटाएं

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