गाँवों की गलियाँ, चौबारे, याद बहुत आते हैं।
कच्चे-घर और ठाकुरद्वारे, याद बहुत आते हैं।।
छोड़ा गाँव, शहर में आया, आलीशान भवन बनवाया,
मिली नही शीतल सी छाया, नाहक ही सुख-चैन गँवाया।
बूढ़ा बरगद, काका-अंगद, याद बहुत आते हैं।।
अपनापन बन गया बनावट, रिश्तेदारी टूट रहीं हैं।
प्रेम-प्रीत बन गयी दिखावट, नातेदारी छूट रहीं हैं।
गौरी गइया, मिट्ठू भइया, याद बहुत आते हैं।।
भोर हुई, चिड़ियाँ भी बोलीं, किन्तु शहर अब भी अलसाया।
शीतल जल के बदले कर में, गर्म चाय का प्याला आया।
खेत-अखाड़े, हरे सिंघाड़े, याद बहुत आते हैं।।
चूल्हा-चक्की, रोटी-मक्की, कब का नाता तोड़ चुके हैं।
मटकी में का ठण्डा पानी, सब ही पीना छोड़ चुके हैं।
नदिया-नाले, संगी-ग्वाले, याद बहुत आते हैं।।
घूँघट में से नयी बहू का, पुलकित हो शरमाना।
सास-ससुर को खाना खाने, को आवाज लगाना।
हँसी-ठिठोली, फागुन-होली, याद बहुत आते हैं।।
|
यह ब्लॉग खोजें
मंगलवार, 30 सितंबर 2014
"गीत-याद बहुत आते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा--डॉ.श्याम गुप्त
मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा-- ============ मेरे गीत-संकलन गीत बन कर ढल रहा हूं की डा श्याम बाबू गुप्त जी लखनऊ द्वारा समीक्षा आज उ...
-
निमंत्रण पत्र ...लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश' -----डा श्याम गुप्त लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ ...
-
ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ...भाव अरपन -सोरह --सवैया छंद --सुमन -२...पंचक श्याम सवैया . ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ..........
-
भारत में वर्ण व्यवस्था व जाति प्रथा की कट्टरता -एक ऐतिहासिक आईना ==============...
nice post.
जवाब देंहटाएंPlease visit here also - http://hindikavitamanch.blogspot.in/
Bahut sunder prastuti !!
जवाब देंहटाएंsundar post.
जवाब देंहटाएंAaj meri kavita padhe Nayee purani halchal me is pate par -
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2014/04/blog-post_8.html
Please visit on this link also and get more hindi poems.
http://hindikavitamanch.blogspot.in/
http://rishabhpoem.blogspot.in/
अच्छा गीत ..
जवाब देंहटाएं