मुझे याद आओगे
कभी तो भूल पाऊँगा तुमको,
मुश्क़िल तो है|
लेकिन,
मंज़िल अब वहीं है||
पहले तुम्हारी एक झलक को,
कायल रहता था|
लेकिन अगर तुम अब मिले,
तों भूलना मुश्किल होगा||
मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा-- ============ मेरे गीत-संकलन गीत बन कर ढल रहा हूं की डा श्याम बाबू गुप्त जी लखनऊ द्वारा समीक्षा आज उ...
अति सुंदर लेख पढ़ कर बहुत अच्छा लगा Free Song Lyrics
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंBahut sudar
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