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सोमवार, 14 मई 2018

मेरी अतुकांत काव्य कृति -'काव्य मुक्तामृत. से एक रचना ----हम कब चेतेंगे----डा श्याम गुप्त


                               

             मेरी अतुकांत काव्य कृति -'काव्य मुक्तामृत. से एक रचना ----हम कब चेतेंगे----




 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-05-2017) को     "रखना सम अनुपात" (चर्चा अंक-2971)    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अपने आप सुरक्षित रह कर तमाशबीन बने रहना लोक-व्यवहार बन गया है.पता तब चलता है जब अपने ऊपर पड़ती है -कुच बिरले ही होते हैं जो औरों के हित खतरा उठाते हैं .

    जवाब देंहटाएं

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