भारत में वर्ण व्यवस्था व जाति प्रथा की कट्टरता -एक ऐतिहासिक आईना -–डा श्यामगुप्त
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भाग तीन – हिन्दू धर्म को जिन्दा कैसे रखा गया –
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====हिन्दुओं ने क्या किया और उसका परिणाम क्या हुआ ===
ऐसा नहीं कि हिंदुओं ने विरोध या मुकाबला नहीं किया, डटकर किया था, परन्तु अनीतिकारी, अनाचारी, अत्याचारी, क्रूर, खूनी-हिंसक, झूठे, कपटी, बेईमान मुस्लिम आक्रान्ताओं ने बुरी तरह दमनकारी नीति अपनाई | फिर भी सभी राजे-रजवाड़े लगातार मुकाबला करते ही रहे | कभी उन्हें चैन से नहीं बैठने दिया | जिन्होंने विरोध किया वे प्राकृतिक रूप से हिन्दू रहे |
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उसके बाद ही गुलाम हिन्दू चाहे मुसलमान बने या नहीं उन्हें नीचा दिखाने के लिए इनसे अस्तबलों का, हाथियों को रखने का, सिपाहियों के सेवक होने का और बेइज़्ज़त करने के लिए साफ सफाई करने के काम दिए जाते थे।
----- उच्च वर्ण के लोग जो गुलाम नहीं भी बने, वैसे ही सब कुछ लुटाकर, अपना धर्म न छोड़ने के फेर में जजिया और तमाम तरीके के कर चुकाते चुकाते समाज में वैसे ही नीचे की पायदान शूद्रता पर पहुँच गए।
------जो आतताइयों से जान बचा कर जंगलों में भाग गए जिन्दा रहने के उन्होंने मांसाहार खाना शुरू कर दिया और जैसी की प्रथा थी, अछूत घोषित हो गए।
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आज कई भारतीय मुसलमान वे हिन्दू हैं जिनके पूर्वज मुसलमानों के शासन में हिंदुत्व से इस्लाम में धर्मान्तरण कर चुके थे, वे परवर्तित लोग उन उच्च जातियों से थे जो वाणिज्य और व्यापार करते थे और यह जीवन के खतरे और दबाव के कारण हुआ|
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===कौन सी विकृति है जो मुसलमानों के अतिक्रमण से पहले इस देश में थी और उनके आने के बाद किसी देश में नहीं है।====
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===हिन्दू धर्म को जिन्दा कैसे रखा गया ===
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-------जिसका जैसा वर्ण था वो उसी को बचाने लग गया, अपने अपने ज्ञान, संस्कार व समझ के अनुसार तरीकों से ---- वर्ण से विविध प्रकार जाति प्रथा का प्रादुर्भाव ....
------ अपने धर्म को ज़िंदा रखने के लिए ज्ञान, धर्मशास्त्रों और संस्कारों को मुंह जुबानी पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया गया ।
-------मलेच्छों का हिन्दू धर्म में अतिक्रमण एवं प्रवेश रोकना,--अंतरजातीय, अंतर्धर्मीय विवाह व अन्य आपसी व्यवहार पर रोक – धर्मकांडों व कर्मकांडों में कठोरता आई |
------लड़कियां मुगलों के हरम में न जाएँ ,इसलिए लड़की का जन्म अभिशाप लगा, बाल-विवाह ---
......छोटी उम्र में उनकी शादी इसलिए कर दी जाती थी की अब इसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इसका पति संभाले |
---------मुसलमानों की गन्दी निगाह से बचने के लिए ***पर्दा प्रथा*** शुरू हो गयी। *********
--------विवाहित महिलाएं पति के युद्ध में जाते ही विधर्मियों के हाथों अपमानित होने से बचने के लिए ***जौहर ****करने लगीं,
-------विधवा स्त्रियाँ पति के मरने के बाद अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए सती होने लगीं ---*****सती प्रथा का आविर्भाव *****..|
------- घर से बेघर हुए हिन्दुओं को पेट पालने के लिए ठगी लूटमार का पेशा अपनाना पड़ा अथवा जो भी पेशा मिला अपनाया गया ।
-------हिन्दू धर्म में शूद्र कृत्यों वाले बहरूपिये आवरण ओढ़ कर इसे कुरूप न कर दें इसीलिए वर्णव्यवस्था कट्टर हुई, लचीलेपन की अपेक्षा , नियम आदि कठोर बनाए गए
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इस पूरी प्रक्रिया में धर्म रूढ़िवादी हो गया और आज की परिभाषा के अनुसार उसमें विकृतियाँ आ गयी। मजबूरी में धर्म एवं वर्णों को कछुए की तरह खोल में सिकुड़ना पड़ा ।
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-------यहीं से वर्णव्यवस्था का स्वाभाविक लचीलापन जो की धर्मसम्मत था ख़त्म हो गया-------
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---परन्तु इन सब प्रतिरोधों व प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप ही भारतीय उपमहाद्वीप के इस्लामीकरण की विफलता की गाथा लिखी गयी |
======= और इसी विफलता को पुनः प्रत्यारोपित करने हेतु देश की स्वतन्त्रता के समय विभाजन का बीज और साम्प्रदायिकता की राजनीति की उलझी हुयी परियोजना बनी, जो आज एक नासूर की भांति देश में उपस्थित है |
------क्रमशः----भाग चार —- केवल वैदिक हिन्दू धर्म ही जीवित रहा --
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भाग तीन – हिन्दू धर्म को जिन्दा कैसे रखा गया –
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====हिन्दुओं ने क्या किया और उसका परिणाम क्या हुआ ===
ऐसा नहीं कि हिंदुओं ने विरोध या मुकाबला नहीं किया, डटकर किया था, परन्तु अनीतिकारी, अनाचारी, अत्याचारी, क्रूर, खूनी-हिंसक, झूठे, कपटी, बेईमान मुस्लिम आक्रान्ताओं ने बुरी तरह दमनकारी नीति अपनाई | फिर भी सभी राजे-रजवाड़े लगातार मुकाबला करते ही रहे | कभी उन्हें चैन से नहीं बैठने दिया | जिन्होंने विरोध किया वे प्राकृतिक रूप से हिन्दू रहे |
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उसके बाद ही गुलाम हिन्दू चाहे मुसलमान बने या नहीं उन्हें नीचा दिखाने के लिए इनसे अस्तबलों का, हाथियों को रखने का, सिपाहियों के सेवक होने का और बेइज़्ज़त करने के लिए साफ सफाई करने के काम दिए जाते थे।
----- उच्च वर्ण के लोग जो गुलाम नहीं भी बने, वैसे ही सब कुछ लुटाकर, अपना धर्म न छोड़ने के फेर में जजिया और तमाम तरीके के कर चुकाते चुकाते समाज में वैसे ही नीचे की पायदान शूद्रता पर पहुँच गए।
------जो आतताइयों से जान बचा कर जंगलों में भाग गए जिन्दा रहने के उन्होंने मांसाहार खाना शुरू कर दिया और जैसी की प्रथा थी, अछूत घोषित हो गए।
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आज कई भारतीय मुसलमान वे हिन्दू हैं जिनके पूर्वज मुसलमानों के शासन में हिंदुत्व से इस्लाम में धर्मान्तरण कर चुके थे, वे परवर्तित लोग उन उच्च जातियों से थे जो वाणिज्य और व्यापार करते थे और यह जीवन के खतरे और दबाव के कारण हुआ|
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===कौन सी विकृति है जो मुसलमानों के अतिक्रमण से पहले इस देश में थी और उनके आने के बाद किसी देश में नहीं है।====
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===हिन्दू धर्म को जिन्दा कैसे रखा गया ===
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-------जिसका जैसा वर्ण था वो उसी को बचाने लग गया, अपने अपने ज्ञान, संस्कार व समझ के अनुसार तरीकों से ---- वर्ण से विविध प्रकार जाति प्रथा का प्रादुर्भाव ....
------ अपने धर्म को ज़िंदा रखने के लिए ज्ञान, धर्मशास्त्रों और संस्कारों को मुंह जुबानी पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया गया ।
-------मलेच्छों का हिन्दू धर्म में अतिक्रमण एवं प्रवेश रोकना,--अंतरजातीय, अंतर्धर्मीय विवाह व अन्य आपसी व्यवहार पर रोक – धर्मकांडों व कर्मकांडों में कठोरता आई |
------लड़कियां मुगलों के हरम में न जाएँ ,इसलिए लड़की का जन्म अभिशाप लगा, बाल-विवाह ---
......छोटी उम्र में उनकी शादी इसलिए कर दी जाती थी की अब इसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इसका पति संभाले |
---------मुसलमानों की गन्दी निगाह से बचने के लिए ***पर्दा प्रथा*** शुरू हो गयी। *********
--------विवाहित महिलाएं पति के युद्ध में जाते ही विधर्मियों के हाथों अपमानित होने से बचने के लिए ***जौहर ****करने लगीं,
-------विधवा स्त्रियाँ पति के मरने के बाद अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए सती होने लगीं ---*****सती प्रथा का आविर्भाव *****..|
------- घर से बेघर हुए हिन्दुओं को पेट पालने के लिए ठगी लूटमार का पेशा अपनाना पड़ा अथवा जो भी पेशा मिला अपनाया गया ।
-------हिन्दू धर्म में शूद्र कृत्यों वाले बहरूपिये आवरण ओढ़ कर इसे कुरूप न कर दें इसीलिए वर्णव्यवस्था कट्टर हुई, लचीलेपन की अपेक्षा , नियम आदि कठोर बनाए गए
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इस पूरी प्रक्रिया में धर्म रूढ़िवादी हो गया और आज की परिभाषा के अनुसार उसमें विकृतियाँ आ गयी। मजबूरी में धर्म एवं वर्णों को कछुए की तरह खोल में सिकुड़ना पड़ा ।
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-------यहीं से वर्णव्यवस्था का स्वाभाविक लचीलापन जो की धर्मसम्मत था ख़त्म हो गया-------
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---परन्तु इन सब प्रतिरोधों व प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप ही भारतीय उपमहाद्वीप के इस्लामीकरण की विफलता की गाथा लिखी गयी |
======= और इसी विफलता को पुनः प्रत्यारोपित करने हेतु देश की स्वतन्त्रता के समय विभाजन का बीज और साम्प्रदायिकता की राजनीति की उलझी हुयी परियोजना बनी, जो आज एक नासूर की भांति देश में उपस्थित है |
------क्रमशः----भाग चार —- केवल वैदिक हिन्दू धर्म ही जीवित रहा --
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (12-05-2017) को "देश निर्माण और हमारी जिम्मेदारी" (चर्चा अंक-2968) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'