वो जब आये आये, बहुत याद आये -----मेरा शहर, ख़ास शहर....
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विश्व इतिहास के सबसे बड़े, समृद्ध व शक्तिशाली साम्राज्य मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रहा आगरा बहुत खास शहर है । महाभारत में अग्रवन के नाम से वर्णित एवं उससे भी प्राचीन काल में आर्यगृह के नाम से जाना जाने वाला आगरा हमारे समय में यह शहर छोटा जरूर था, लेकिन वहां जन-जीवन की हर वस्तु उपलब्धि थी।
------- यमुना नदी के दोनों ओर बसा हुआ सुन्दर शहर, पश्चिमी तट पर प्रशासनिक मूल शहर के रूप में स्थित था | रावतपाड़ा फुलट्टी हर प्रकार के सामान, मसालों की मंडी, बेलनगंज, और आठ रेलवे-स्टेशन वाला विशिष्ट शहर |
------ नगर के चारों कोनों पर स्थित प्रसिद्द शिवमंदिर एवं मध्य शहर में मनकामेश्वर मंदिर जहाँ हर व्यापारी नौकरीपेशा सुबह शाम दर्शन करके हाथ जोड़कर जाता था, जहां सावन माह में बड़े बड़े लगते हुए मेले |
-------पेठे व दालमोठ जिनकी आज तक कोइ अन्य शहर नक़ल नहीं कर पाया | रोक्सी, बसंत ताज जैसे पुराने टाकीज पर टिकिटों की लाइनें और तागों, इक्कों व रिक्शों की आपसी होड़ | गालिव का आगरा, आगरा की प्रसिद्द रामलीला |
----- शहर के लगभग मध्य-पश्चिम में हरीपर्वत पर अधिक भीड़ नहीं होती थी आगे सेंट्रल जेल और उसके बराबर में तालाब था। शहर में तालाबों का प्रबंध इतना अच्छा था कि भारी से भारी वर्षा में भी कभी शहर में जलभराव नहीं होता था। सारा पानी तालाबों में समा जाता था और शहर का भूगर्भ जल स्तर भी अच्छा बना रहता था। अबतो तालाबों को पाटकर बहुमंजिला इमारतें बन गयी हैं और सभी नगरों की भांति पानी निकासी उचित न होने से शहर सारा तालाब बन जाता है।
------- पुराना शहर शिक्षा और चिकित्सा के लिए दूर दूर तक देश-विदेश में प्रसिद्द था। अंग्रेजों के समय का थोम्प्सन मिलिटरी मेडीकल स्कूल अर्थात अब एस एन मेडीकल कॉलेज की इतनी साख थी कि लोग राजधानी दिल्ली से भी इलाज कराने आते थे। सारा राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश पंजाब के क्षेत्र को भी यह चिकित्सा सेवा से अभिसिंचित करता था | तमाम नेतागण भी यहीं इलाज़ कराते थे | इस कालिज एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में मरीजों को ऐसी सुविधाएं उपलब्ध थीं कि आज प्राइवेट हॉस्पिटल भी वैसी सुविधाएं भारी भरकम खर्च के बाद भी नहीं दे पाते | सरकारी व मेडिकल कालिज के चिकित्सक प्राइवेट प्रेक्टिस करते थे लेकिन सरकारी कार्य वाधित नहीं होता था | उनकी प्राथमिकता एसएन मेडीकल कॉलेज ही रहता था। वे मरीजों से संवेदनाओं जुडे रहते थे। एस एन मेडीकल कालिज के चिकित्सक-अध्यापकों का मान शासन, प्रशासन के ऑफीसर से कहीं बहुत अधिक था |
-------- राजकीय हाई स्कूल शहर का सर्वश्रेष्ठ स्कूल होता था।शिक्षा की गुणवत्ता व मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता था एवं मैरिट से ही प्रवेश होते थे। प्रधानाचार्य किसी की भी, यहां तक की जिलाधिकारी की सिफारिश पर भी प्रवेश नहीं देते थे। यूपी बोर्ड परीक्षाओं में यहीं से सबसे ज्यादा प्रथम डिवीजन आती थीं। इसके बाद अन्य कालेजों का नंबर आता था। मेरे ही समय में ही यह इंटर कालिज बना था एवं इंटर कक्षाएं प्रारम्भ हुईं थी और जी आई सी के नाम से प्रसिद्द हुआ | | जीआईसी की इतनी प्रसिद्धि थी कि आगरा के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी स्कूल सेंटपीटर्स को छोड़कर छात्र यहाँ प्रवेश लेते थे। आगरा कालिज विश्व के महान कालेजों में से एक था और सेंटजांस कालिज पढाई व अनुशासन में बेजोड़ |
------- और ताजमहल, लालकिला, एतमादउद्दौला, सिकंदरा आदि सुप्रसिद्ध इमारतों और शहर में भ्रमण करते हुए विदेशी सेलानियों और वस्तुओं के लिए मोल-टोल करते हुए हाकरों आदि की बात तो सभी जानते हैं|
----यादों की गलियाँ तो बहुत हैं --- पर अब आगरा वो आगरा कहाँ रहा |
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विश्व इतिहास के सबसे बड़े, समृद्ध व शक्तिशाली साम्राज्य मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रहा आगरा बहुत खास शहर है । महाभारत में अग्रवन के नाम से वर्णित एवं उससे भी प्राचीन काल में आर्यगृह के नाम से जाना जाने वाला आगरा हमारे समय में यह शहर छोटा जरूर था, लेकिन वहां जन-जीवन की हर वस्तु उपलब्धि थी।
------- यमुना नदी के दोनों ओर बसा हुआ सुन्दर शहर, पश्चिमी तट पर प्रशासनिक मूल शहर के रूप में स्थित था | रावतपाड़ा फुलट्टी हर प्रकार के सामान, मसालों की मंडी, बेलनगंज, और आठ रेलवे-स्टेशन वाला विशिष्ट शहर |
------ नगर के चारों कोनों पर स्थित प्रसिद्द शिवमंदिर एवं मध्य शहर में मनकामेश्वर मंदिर जहाँ हर व्यापारी नौकरीपेशा सुबह शाम दर्शन करके हाथ जोड़कर जाता था, जहां सावन माह में बड़े बड़े लगते हुए मेले |
-------पेठे व दालमोठ जिनकी आज तक कोइ अन्य शहर नक़ल नहीं कर पाया | रोक्सी, बसंत ताज जैसे पुराने टाकीज पर टिकिटों की लाइनें और तागों, इक्कों व रिक्शों की आपसी होड़ | गालिव का आगरा, आगरा की प्रसिद्द रामलीला |
----- शहर के लगभग मध्य-पश्चिम में हरीपर्वत पर अधिक भीड़ नहीं होती थी आगे सेंट्रल जेल और उसके बराबर में तालाब था। शहर में तालाबों का प्रबंध इतना अच्छा था कि भारी से भारी वर्षा में भी कभी शहर में जलभराव नहीं होता था। सारा पानी तालाबों में समा जाता था और शहर का भूगर्भ जल स्तर भी अच्छा बना रहता था। अबतो तालाबों को पाटकर बहुमंजिला इमारतें बन गयी हैं और सभी नगरों की भांति पानी निकासी उचित न होने से शहर सारा तालाब बन जाता है।
------- पुराना शहर शिक्षा और चिकित्सा के लिए दूर दूर तक देश-विदेश में प्रसिद्द था। अंग्रेजों के समय का थोम्प्सन मिलिटरी मेडीकल स्कूल अर्थात अब एस एन मेडीकल कॉलेज की इतनी साख थी कि लोग राजधानी दिल्ली से भी इलाज कराने आते थे। सारा राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश पंजाब के क्षेत्र को भी यह चिकित्सा सेवा से अभिसिंचित करता था | तमाम नेतागण भी यहीं इलाज़ कराते थे | इस कालिज एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में मरीजों को ऐसी सुविधाएं उपलब्ध थीं कि आज प्राइवेट हॉस्पिटल भी वैसी सुविधाएं भारी भरकम खर्च के बाद भी नहीं दे पाते | सरकारी व मेडिकल कालिज के चिकित्सक प्राइवेट प्रेक्टिस करते थे लेकिन सरकारी कार्य वाधित नहीं होता था | उनकी प्राथमिकता एसएन मेडीकल कॉलेज ही रहता था। वे मरीजों से संवेदनाओं जुडे रहते थे। एस एन मेडीकल कालिज के चिकित्सक-अध्यापकों का मान शासन, प्रशासन के ऑफीसर से कहीं बहुत अधिक था |
-------- राजकीय हाई स्कूल शहर का सर्वश्रेष्ठ स्कूल होता था।शिक्षा की गुणवत्ता व मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता था एवं मैरिट से ही प्रवेश होते थे। प्रधानाचार्य किसी की भी, यहां तक की जिलाधिकारी की सिफारिश पर भी प्रवेश नहीं देते थे। यूपी बोर्ड परीक्षाओं में यहीं से सबसे ज्यादा प्रथम डिवीजन आती थीं। इसके बाद अन्य कालेजों का नंबर आता था। मेरे ही समय में ही यह इंटर कालिज बना था एवं इंटर कक्षाएं प्रारम्भ हुईं थी और जी आई सी के नाम से प्रसिद्द हुआ | | जीआईसी की इतनी प्रसिद्धि थी कि आगरा के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी स्कूल सेंटपीटर्स को छोड़कर छात्र यहाँ प्रवेश लेते थे। आगरा कालिज विश्व के महान कालेजों में से एक था और सेंटजांस कालिज पढाई व अनुशासन में बेजोड़ |
------- और ताजमहल, लालकिला, एतमादउद्दौला, सिकंदरा आदि सुप्रसिद्ध इमारतों और शहर में भ्रमण करते हुए विदेशी सेलानियों और वस्तुओं के लिए मोल-टोल करते हुए हाकरों आदि की बात तो सभी जानते हैं|
----यादों की गलियाँ तो बहुत हैं --- पर अब आगरा वो आगरा कहाँ रहा |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-02-2018) को "धरती का सिंगार" (चर्चा अंक-2868) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद
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