![]() खुदा सबके लिए ही, खूबसूरत जग बनाता है।
मगर इस दोजहाँ में, स्वार्थ
क्यों इतना सताता है?
पड़ा जब काम तो, रिश्ते बनाए दोस्ती जैसे, निकल जाने पे मतलब, दूटता हर एक नाता है। है जब तक गाँठ में ज़र, मान और सम्मान है तब तक, अगर है जेब खाली तो, जगत मूरख बताता है। कहीं से कुछ उड़ा करके, कहीं से कुछ चुरा करके, सुनाता जो तरन्नुम में, वही शायर कहाता है। जरा बल हुआ कम तो, तिफ्ल भी होने लगे तगड़े, मगर बलवान के आगे, खुदा भी सिर झुकाता है। शमा के "रूप" को सज़दा, किया करते हैं परवाने, अगर लौ बुझ गयी तो, एक भी आशिक न आता है। |
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सोमवार, 29 सितंबर 2014
“ग़ज़ल-वही शायर कहाता है” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक)
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हार में है छिपा जीत का आचरण। सीखिए गीत से , गीत का व्याकरण।। बात कहने से पहले विचारो जरा मैल दर्पण का अपने उतारो जरा तन...
सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंजरा बल हुआ कम तो, तिफ्ल भी होने लगे तगड़े,
मगर बलवान के आगे, खुदा भी सिर झुकाता है।
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंkya baat
जवाब देंहटाएंkya kahne
जवाब देंहटाएंसुन्दर ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है....
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