tag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post7439862690418050146..comments2024-01-19T14:10:47.867+05:30Comments on सृजन मंच ऑनलाइन: "ग़ज़ल की शुरूआत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-8037563345441142702013-11-22T10:09:09.210+05:302013-11-22T10:09:09.210+05:30कुछ आपने सिखाया कुछ वाहिद काशीवासी जी ने ,सृजन मंच...कुछ आपने सिखाया कुछ वाहिद काशीवासी जी ने ,सृजन मंच की टिप्पणी पढ़ कर भी कुछ न कुछ सीख ही लेते हैं |<br />बहुत धन्यवाद ,<br />सादर ,<br />Nirmala Singh Gaurhttps://www.blogger.com/profile/11652945019873011264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-28354056627733933512013-11-20T19:30:53.732+05:302013-11-20T19:30:53.732+05:30वाहिद काशीवासी जी।
आपको मंच की जरूरत है।
यदि आप मं...वाहिद काशीवासी जी।<br />आपको मंच की जरूरत है।<br />यदि आप मंच से जुड़ जायेंगे तो बहुत लोगों को आपके ज्ञान का लाभ मिलेगा।<br />आभार।<br />--<br />अपना ईमेल यहाँ पर टिप्पणी में लिख दें। <br />मैं आपको सृजन मंच ऑनलाइन पर आमन्त्रित कर दूँगा।<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-37433373732365372432013-11-20T19:23:18.431+05:302013-11-20T19:23:18.431+05:30बहुत ही बढ़िया और सुलझी हुई जानकारी साझा करने हेतु ...बहुत ही बढ़िया और सुलझी हुई जानकारी साझा करने हेतु आपका आभार। ऊपर टिप्पणियों में कुछ बातों पर विचार आया।<br />'मतला' न होकर 'मत्ला' ही शुद्ध है। शे'र भी सही है जो 'शेअर' हो सकता है। गज़ल 'ग़ज़ल' होती है। मिसरा भी 'मिस्रा' ही शुद्ध है। दूसरी चीज़ चूँकि यह मंच सीखने-सिखाने के लिए है अतः इस अद्भुत मंच पर सहयोग प्रस्तुत है..-- <br />आँखों पे चश्मा लगाना पड़ेगा।<br />कमजोर होगी नजर धीरे-धीरे।।-- इसमें दोनों ही मिस्रों में पहली रुक्न में बह्र की चूक हो रही है जिसे बह्र मुतक़ारिब होने के कारण १२२ होना चाहिए किन्तु मिस्रए उला और सानी दोनों में में १-१ मात्रा कम है। जो शायद ऐसे करने पर ठीक हो जाय..<br />इन आँखों पे चश्मा लगाना पड़ेगा, (अलिफ़ वस्ल के तहत -- इन+आँखों = इनाँखों=१२२)<br />के कमज़ोर होगी नज़र धीरे-धीरे।<br />सादर,वाहिद काशीवासीhttps://www.blogger.com/profile/00371130760325689955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-60990163607534687042013-11-19T23:18:12.181+05:302013-11-19T23:18:12.181+05:30बहुत सुन्दर है।
तफसील से समझाया है गज़ल को लेकिन...बहुत सुन्दर है। <br /><br />तफसील से समझाया है गज़ल को लेकिन यार ये मतला को मत्ला और शैर को यार लोग शेर (लाइन )काहे कह रहें हैं लिख रहें हैं ?कई तो गज़ल को भी गजल कह लिख रहे हैं ?एक गज़ल इन पर भी हो जाए।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-20140321785875610972013-11-19T22:35:43.862+05:302013-11-19T22:35:43.862+05:30अच्छी जानकारी.....अच्छी जानकारी..... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-66271563759197975302013-11-19T10:01:07.422+05:302013-11-19T10:01:07.422+05:30बढ़िया प्रस्तुतिबढ़िया प्रस्तुतिMadan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-83195114242187099362013-11-19T09:46:09.917+05:302013-11-19T09:46:09.917+05:30सुन्दर प्रस्तुति-
आभार गुरुवर सुन्दर प्रस्तुति-<br />आभार गुरुवर रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-3152510222489981602013-11-18T21:30:55.420+05:302013-11-18T21:30:55.420+05:30जानकारी पूर्ण लेख बहुत कुछ है सीखने के लिये !जानकारी पूर्ण लेख बहुत कुछ है सीखने के लिये !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com