tag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post4265868290218676031..comments2024-01-19T14:10:47.867+05:30Comments on सृजन मंच ऑनलाइन: ईशोपनिषद के द्वितीय मन्त्र .... के द्वितीय भाग ... ' एवंत्वयि नान्यथेतो S स्ति न कर्म लिप्यते नरे ||'.... का काव्य-भावानुवाद .... डा श्याम गुप्त..... डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-23644567356900041992014-04-15T20:45:45.711+05:302014-04-15T20:45:45.711+05:30खूबसूरत प्रस्तुति... खूबसूरत प्रस्तुति... Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-24725304863404204452014-04-13T21:33:21.368+05:302014-04-13T21:33:21.368+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपको सूचित करते हुए हर्ष...बहुत सुन्दर प्रस्तुति।<br />--<br />आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (14-04-2014) के <a href="http://http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">"रस्में निभाने के लिए हैं" (चर्चा मंच-1582) </a> पर भी होगी!<br />बैशाखी और अम्बेदकर जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com