tag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post3669510283318637306..comments2024-01-19T14:10:47.867+05:30Comments on सृजन मंच ऑनलाइन: "एक मुक्तक" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-47692147725669439262013-10-02T11:12:37.858+05:302013-10-02T11:12:37.858+05:30सुंदर मुक्तक के लिये बधाई. दो पंक्तियाँ और हो जाये...सुंदर मुक्तक के लिये बधाई. दो पंक्तियाँ और हो जायें तो यह घनाक्षरी के करीब हो सकता है., सादर........अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-16665263782317241802013-10-02T08:22:52.746+05:302013-10-02T08:22:52.746+05:30भारत की महानता का, नही है अतीत याद,
वोट माँगने को,...भारत की महानता का, नही है अतीत याद,<br />वोट माँगने को, नेता आया बिनबुलाया है।<br />देश का कहाँ है ध्यान, होता नित्य सुरापान,<br />जाति, धर्म, प्रान्त जैसे, मुद्दों को भुनाया है।<br />युवराज-सन्त चल पड़े, गली-हाट में,<br />निर्वाचन के दौर ने, ये दिन भी दिखाया है।<br />घूमता है एक बकरा नगर- नगर, प्रांत- प्रांत मिमियाता हुआ दिग्भ्रान्त बोल देता है एक आदि शब्द कभी काम के <br /><br />भारत की महानता का, नही है अतीत याद,<br />वोट माँगने को, नेता आया बिनबुलाया है।<br />देश का कहाँ है ध्यान, होता नित्य सुरापान,<br />जाति, धर्म, प्रान्त जैसे, मुद्दों को भुनाया है।<br />युवराज-सन्त चल पड़े, गली-हाट में,<br />निर्वाचन के दौर ने, ये दिन भी दिखाया है।<br /><br />घूमता है एक बकरा नगर- नगर, प्रांत- प्रांत मिमियाता हुआ दिग्भ्रान्त बोल देता है एक आदि शब्द कभी काम के <br /><br />भारत की महानता का, नही है अतीत याद,<br />वोट माँगने को, नेता आया बिनबुलाया है।<br />देश का कहाँ है ध्यान, होता नित्य सुरापान,<br />जाति, धर्म, प्रान्त जैसे, मुद्दों को भुनाया है।<br />युवराज-सन्त चल पड़े, गली-हाट में,<br />निर्वाचन के दौर ने, ये दिन भी दिखाया है।<br />घूमता है एक बकरा नगर- नगर, प्रांत- प्रांत मिमियाता हुआ दिग्भ्रान्त बोल देता है एक आदि शब्द कभी काम के <br /><br />भारत की महानता का, नही है अतीत याद,<br />वोट माँगने को, नेता आया बिनबुलाया है।<br />देश का कहाँ है ध्यान, होता नित्य सुरापान,<br />जाति, धर्म, प्रान्त जैसे, मुद्दों को भुनाया है।<br />युवराज-सन्त चल पड़े, गली-हाट में,<br />निर्वाचन के दौर ने, ये दिन भी दिखाया है।<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-4748653975356835272013-10-01T22:45:29.436+05:302013-10-01T22:45:29.436+05:30बहुत खूब ,,, पर मुक्तक तो चार पंक्तियों का होता है...बहुत खूब ,,, पर मुक्तक तो चार पंक्तियों का होता है....डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-84462957544235351272013-09-28T10:30:18.168+05:302013-09-28T10:30:18.168+05:30सुंदर व सामयिक कटाक्ष...सुंदर व सामयिक कटाक्ष...अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7421790880043366399.post-40578053138485688912013-09-28T08:54:49.921+05:302013-09-28T08:54:49.921+05:30बहुत खूब।बहुत खूब।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com