यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 13 अगस्त 2017

कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर दो पद----- डा श्याम गुप्त





कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर दो पद-----
\\
१.
ब्रज की भूमि भई है निहाल |
सुर गन्धर्व अप्सरा गावें नाचें दे दे ताल |
जसुमति द्वारे बजे बधायो, ढफ ढफली खडताल |
पुरजन परिजन हर्ष मनावें जनम लियो नंदलाल |
आशिष देंय विष्णु शिव् ब्रह्मा, मुसुकावैं गोपाल |
बाजहिं ढोल मृदंग मंजीरा नाचहिं ब्रज के बाल |
गोप गोपिका करें आरती, झूमि बजावैं थाल |
आनंद-कन्द प्रकट भये ब्रज में विरज भये ब्रज-ग्वाल |
सुर दुर्लभ छवि निरखे लखि-छकि श्याम’ हू भये निहाल ||


 
२.
तेरे कितने रूप गोपाल ।
सुमिरन करके कान्हा मैं तो होगया आज निहाल ।
नाग-नथैया, नाच-नचैया, नटवर, नंदगोपाल ।
मोहन, मधुसूदन, मुरलीधर, मोर-मुकुट, यदुपाल ।
चीर-हरैया, रास -रचैया, रसानंद, रस पाल ।
कृष्ण-कन्हैया, कृष्ण-मुरारी, केशव, नृत्यगोपाल |
वासुदेव, हृषीकेश, जनार्दन, हरि, गिरिधरगोपाल |
जगन्नाथ, श्रीनाथ, द्वारिकानाथ, जगत-प्रतिपाल |
देवकीसुत,रणछोड़ जी,गोविन्द,अच्युत,यशुमतिलाल |
वर्णन-क्षमता कहाँ 'श्याम की, राधानंद, नंदलाल |
माखनचोर, श्याम, योगेश्वर, अब काटो भव जाल ||
Image may contain: one or more peopleImage may contain: 1 person
Image may contain: one or more people






No automatic alt text available.

Image may contain: 1 person
 
 
----चित्र गूगल साभार




1 टिप्पणी:

फ़ॉलोअर

मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा--डॉ.श्याम गुप्त

  मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा-- ============ मेरे गीत-संकलन गीत बन कर ढल रहा हूं की डा श्याम बाबू गुप्त जी लखनऊ द्वारा समीक्षा आज उ...